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श्रीनगर गढ़वाल कटहल जिसे जैकफ्रुट (Jackfruit) भी कहते हैं एक सदाबहार मध्म आकार का पेड़ है। इसकी बागवानी मैदानी भागों से लेकर समुद्र तल से लगभग 1000 मी.ऊंचाई तक तथा पश्चिमी व दक्षिण पश्चिमी ढलान पर 1200 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है। कटहल के पेड़ पर फल न आने या फल गिरने की कई वजहें हो सकती है।इनमें प्रमुख वजह है कटहल के पेड़ में परागण और निषेचन की कमी का होना। कटहल का पौधा मोनोसियस (Monoecious) होता है जिसमें नर तथा मादा फूल एक ही पौधे पर अलग-अलग आते हैं। कटहल के पौधों में फूल 7-8 वर्ष के बाद आना प्रारंभ होते हैं। फूल दिसम्बर में आना शुरू होते हैं और मार्च तक रहता है। कभी-कभी बिना मौसम के भी सितम्बर-अक्टूबर में फूल आ जाते हैं। पहले नर फूल आते हैं और बाद में मादा फूल आना प्रारम्भ करते हैं। वैसे,कटहल में फूल नहीं बल्कि पुष्पक्रम होता है, क्योंकि यह एक मिश्रित फूल है। प्रत्येक खंड एक वास्तविक फूल है। इसलिए मादा पुष्पक्रम पर जो सफेद छोटी बालों वाली संरचना दिखायी देती हैं,उनमें से प्रत्येक एक वास्तविक फूल है बाद में पूरा पुष्प क्रम एक मिश्रित फल बनाता है। शुरू के एक या दो वर्ष तक केवल नर फूल आते हैं जिससे कटहल में फल नहीं लगते हैं ये नर फूल कुछ दिनों में पीले पड़ कर गिर जाते हैं। बाद के वर्षों में जब नर और मादा दोनों प्रकार के फूल आते हैं तभी फल लगते हैं। नर फूल पौधे की नई कोमल टहनियों में लगते हैं यह पत्ती के साथ या मादा फूलों के ऊपर लगते हैं। नर फूलों में पीले चिपचिपे परागकण देखे जा सकते हैं। जिनसे मीठी सुगंध निकलती है जिसमें कीट आकर्षित होते हैं। यह 5 से 10 से.मी लम्बे व 2.0 से 4.5 से.मी चौड़े रहते हैं। इनके बांझ फूल भी रहते हैं। मादा फूल नर फूलों से बड़े रहते हैं वह मोटे-छोटे डंठल से पौधे के पुराने तनों तथा मुख्य तने से निकलते हैं। ये बेलनाकार 5 से 15 से.मी लम्बे व 3.0 से 4.5 सेमी चौड़े रहते हैं। मादा फूल ही फल में परिवर्तित होते हैं। मौसम की स्थिति,जलवायु में परिवर्तन,सिंचाई,पोषक तत्वों की उपलब्धता,कम परागण गतिविधि,कीट व व्याधि का प्रकोप और आनुवंशिक कारक भी फल गिरने की वजह हो सकते हैं। कटहल के पेड़ को पानी की कमी या ज्यादा गर्मी से सूखने न दें। ज्यादा पानी देने से भी उत्पादन प्रभावित हो सकता है। कटहल के पेड़ में पोषक तत्वों की कमी होने से भी फल नहीं आते। पोषक तत्व जैसे फास्फोरस,सल्फर,बोरोन,आदि की कमी होने पर भी फूल गिरने लगते हैं। जींवाश खाद एवं उर्वरकों को उचित मात्रा में प्रयोग करें। पोषक तत्वों के अंसतुलन के कारण भी फल गिरने लगते हैं। नाइट्रोजन की अधिकता के कारण पौधों में कार्बोहाइड्रेट का संचयन नहीं होता है। यह फूलों के गिरने का एक प्रमुख कारण है। उर्वरकों का प्रयोग संतुलित मात्रा में प्रयोग करें। कई बार कुछ रस चूसक कीटों का प्रकोप होने पर भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है। मिली बग ये नये फूल-फल एवं डंठलों का रस चूसते हैं फलस्वरूप फूल एवं फल गिर जाते हैं। इसकी रोकथाम हेतु बगीचे की सफाई रखनी चाहिए। इसके उपचार के लिए 2 मिली इंडोसल्फान या इमीडाक्लोप्रिड दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। कटहल के पेड़ में राइजोपस आर्टोकार्पाई नामक कवक से फल गलन की बीमारी हो सकती है जिसके प्रकोप से भी फल गिरने लगते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए,कापर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम दवा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 15 दिनों के अंतराल पर पेड़ों पर दो छिड़काव करें।

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