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पहाड़ों की रानी मसूरी में उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी जी की जयंती को धूमधाम के साथ मनाया गया इस मौके पर मसूरी माल रोड पर सांस्कृतिक यात्रा निकल गई और शहीद स्थल पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए सरकार से बड़े स्तर पर उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी जी की जी की जयंती मनाई जाने की अपील की गई। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में अग्रणी नेता और पहाड़ के गांधी के नाम से प्रसिद्ध स्व. इंद्रमणि बडोनी की 100 बी जयंती मसूरी के बडोनी चौक पर बनाई गई. मसूरी इंद्रमणि विचार मंच के पदाधिकारियों ने उत्तराखंड के गांधी बडोनी के जीवन परिचय और राज्य आंदोलन में उनकी भूमिका पर के बारे में विस्तार से बताया. इस मौके पर इन्द्रमणि मणि बडोनी विचार मंच के महासचिव प्रदीप भंडारी ने कहा कि अब सरकार पहाड़ के गांधी और उनके विचारों को भूलने लगी है. उनकी जयंती पर सरकार द्वारा कोई भी बडा कार्यक्रम आयोजित नही किया गया जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होने कहा कि बडोनी जी 100 बवी जयंती पर सरकार द्वारा कोई विज्ञापन भी जारी नही किया गया।
इन्द्रमणि मणि बडोनी विचार मंच के अध्यक्ष पूरन जुयाल और राज्य आंदोलनकारी जयप्रकाष उत्तराखंडी ने कहा कि पहाड़ के गांधी की प्रतिमा उत्तराखंड विधानसभा, सचिवालय, मुख्यमंत्री आवास और समस्त सरकारी कार्यालयों में स्थापित होनी चाहिए. वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड के इस सच्चे सपूत ने 72 वर्ष की उम्र में 1994 में राज्य निर्माण की निर्णायक लड़ाई लड़ी और आज उनके की देन है कि उत्तरखण्ड राज्य का निर्माण हो सका. अपने अंतिम समय इलाज कराते हुए भी बडोनी जी हमेशा उत्तराखंड की बात करते थे. उन्होने कहा कि 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत हमेशा के लिये सो गया था. उन्होंने बताया कि वन अधिनियम के विरोध में उन्होंने आन्दोलन का नेतृत्व किया और पेड़ों के कारण रुके पड़े विकास कार्यों को खुद पेड़ काट कर हरी झंडी दी थी. वहीं, 1988 में तवाघाट से देहरादून तक की उन्होंने 105 दिनों की पैदल जन संपर्क यात्रा भी थी थी। इस मौके पर ओपी उनियाल,प्रदीप भंडारी, जय प्रकाश उत्तराखंडी, मीरा सकलानी,गंभीर पंवार,महेश चंद्र,दर्शन रावत, पूरण जुयाल, आर पी बडोनी,खुर्शीद अहमद, उमेश नौटियाल, के. डी नौटियाल, श्रीपति आदि मौजूद थे।

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